स्कूल

ग्रामीण विद्यालय - सोमय्या विद्याामंदिर

भरोसेमंद शिक्षा एक ऐसा उपकरण है जो गरीबोंकी जिंदगी बेहतर कर सकता हैं. हमारे संस्थापक श्री. करमशी जेठाभाई सोमय्याजीने सबसे अच्छे दान का निर्णय लिया कि वे विद्याादान ही होगा. (१९५९) उन्होने सोमय्या विद्यााविहार ट्रस्ट को १९५९ में गुणवत्ता शिक्षणसंस्था बनाने के लिए स्थापित किया. सोमय्या विद्यााविहार का आदर्श केवल ज्ञान ही मुक्त है.

सोमय्या विद्यााविहार के साथ मिलकर हम दो कन्नड माध्यम विद्याालय और बागलकोट में एक अंग्रेजी माध्यम विद्याालय की स्थापना की और अहमदनगर जिले में दोन मराठी माध्यम विद्याालय और एक अंग्रेजी माध्यम के विद्याालय. ये विद्याालय बडे परिसर बने है. जो अच्छी तरह सुसज्जित है. जिससे की वे विज्ञान प्रयोगशाला, कंप्युटर कक्ष, पुस्तकालय और खेल सुविधांए हैं. हमारी सामाजिक जिम्मेदारी के भाग के रूप में हमने पास के आसपासे के गांव के बच्चों के लिए हमारे स्कूल ल सुविधाओं का विस्तार किया है.

विद्याादान

पद्माश्री करमशी जितेंद्रभाई सोमय्या जो गरीब पैदा हुए थे. केवल छठवी कक्षा तक पढ सकते थे. लेकिन शिक्षा ने उन्हे गरीबी से बाहर जाने अवसर प्रदान किया. बडी कठिणाई का सामना करना पडा. महाराष्ट्र में साखरवाडी और लक्ष्मीवाडी में स्थापित चिनी कारखानों में भरोसेमंद शिक्षा उपकरण गरीबोंके जीवन को बेहतर बना सकता है.

उन्होने फैसला किया की सर्वश्रेष्ठ दान को (समाज वापस देना) हा ज्ञान के विधायक उपहार होंगे. मुझे १९५९ में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा संस्थान बनाने के लिए स्थापित किया जाने का विश्वाास था. आदर्श वाक्य है की अकेला ज्ञान मुक्त है.

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के. जी. सोमय्या अंग्रेजी माध्यम विद्याालय, समीरवाडी

कर्नाटक के बागलकोट जिले में महलिंगपूर से दूर ०.८ किलोमीटर में स्थित समीरवाडी काश्मीर शिक्षक और प्रबंधन द्वारा कडी मेहनत की गई. के. जे. सोमय्या अंग्रेजी माध्यम विद्याालय समीरवाडी छात्रों के उपलब्धी में सबसे अच्छा हैं.

सीबीएसई बोर्ड के साथ मिलकर १५ जुलाई २००४ को सोमय्या विद्यााविहार के तत्त्वावधान में स्कूल स्थापित किया है. यह गोदावरी जैव रिफाइनरीज के कर्मचारीयों के लिए गुणवत्ता और सस्ती शिक्षा प्रदान करता है.

साथही आसपास के गांव के किसानों, व्यापारी और व्यापारीओं की बीच २०१४ में विद्याार्थिओंके अनुरोध पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विज्ञानधारा में ग्यारवी और बारवी के लिए कक्षा भी शामिल की गई. वहीं समीरवाडी के अलावा छात्रों ने हंडीगुंड, पलभावी, केसरगोप्पा, बिस्नल और महालिंगपूर.

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