जिम्मेदारी शुरुआती बचपन की शिक्षा (पूर्व प्राथमिक)

बचपन की शिक्षा में निवेश

आंगणवाडी – सोमैया शिशुविहार

ग्रामीण विकास प्रक्रिया में बचपन की शिक्षा एक महत्त्वपूर्ण कदम है. जैसे छोटे बच्चों को यह शिक्षा दी जाती है. उस वक्त बच्चे देहाती (ग्रामीण)भाषा से ज्यादा परिचित होते है. इसी भाषा में ही उनको शिक्षा प्रदान की जाती है.

० से ६ साल के आयुर्वर्ग के विशेष अधिकार प्राप्त बच्चों के लिए पोषणमूल्य प्रदान करने के लिए एक मिशन के साथ हमने आंगनवाडी परियोजना के समर्थन करने के लिए राज्य सरकारसे हात मिलाया है. हम कर्नाटक के बागलकोट और बेलगाम के विभिन्न गांवो में सोमय्या शिशुविहार नामक २० आंगनवाडी केंद्रों का समर्थन करते है. ३ से ५ वर्ष आयु के बच्चों के लिए मूल्याधारित शिक्षा के लिए हम शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण और खिलौनों प्रदान करते हैं. स्वयंसेवकों को मानदेय देते है. साथ ही साथ यह सूचित करने के लिए नियमित रूप से कक्षा आयोजित करते है.

इससे २००० से अधिक बच्चों को सालाना लाभ होता है.

सोमैया शिशुविहार (आंगणवाडी केंद्र)

"मैं अर्जुन हूं. हमारी आय का मुख्य स्रोत कृषि और कृषि मजदूरी है. मेरे तीन बच्चे है. एक दुसरी कक्षा में है और दौ पूर्व प्राथमिक में पढते है. हमारा खेत में घर है. "

मेरे बेटे सोमैया शिशुविहार में पढाई करते है और मेरी दो बेटियां उसी केंद्र में पढ रहे है. यह केंद्र मेरे और आसपास के परिवारों के लिए बहुत उपयोगी है. क्योंकी हमारे आसपास के किसी भी सरकारी पूर्व प्राथमिक विद्याालय नहीं है. सरकारी आंगनवाडी की दूरी मेरे घर से करीब ३ किमी है. हमारे बच्चों को सरकारी प्राथमिक स्कूलों में भेजने के लिए हमारे बहुत मुश्किल है क्योंकि यह हमें हर दिन छोडना और लाना बहुत मुश्किल होगा क्योंकि हमे खेत में काम करना पडता है. हमें इस केंद्र से बडा लाभ हुआ. समीरवाडी फॅक्टर के प्रति हम बहुत खूष है.

श्री. अर्जुन एम. दड्डीमणि

  • उम्र- ३२
  • |
  • व्यवसाय- कृषि
  • |
  • गांव- हंडीगौंड, जिला- बेलगाम (कर्नाटक)
  • |
  • कक्षा- तिसरी

मेरा नाम निंगाप्पा है. मैं खेती करता हूं. मेरे चार बच्चे है. जिनमें से दो बच्चे सोमय्या पूर्व प्राथमिक विद्याालयों में अध्ययन कर रहे हैं और दुसरे दो बच्चे ३ साल से कम है.

सौमय्या विद्याालय हमारे लिए उपयोगी है. सौमय्या हमारे पास कोई सरकारी प्राथमिक स्कूल नहीं है. हम खुश हैं की मेरे दो बच्चे अब पढ रहे है. क्योंकि मैं निरक्षर हूं.

श्री. निंगाप्पा एस ब्याकोद

  • उम्र- ३०
  • |
  • व्यवसाय- कृषि,
  • |
  • गाव- केसरागोप्पा, जिला- बागलकोट (कर्नाटक)
  • |
  • कक्षा- Nil