अध्यक्ष का संदेश
प्रिय शेयरधारक,
‘ सामान्य से परे उठना’ हमारी रणनीति है। हर मायने में... जिस तरह से हम ट्रिपल बॉटम लाइन का ध्यान रखते है, जिस तरह से हम किसानो की जरुरतो को पूरा करते है और जिस तरह से हम हमारे फीडस्टॉक के मूल्य में चाहे वो गन्ना, इथेनोल, गूढ़, ब्गैस हो या कोई अन्य फीड स्टॉक हो उसके मूल्य में बढ़ोतरी करते है। जिस तरह से हम हमार यूत्पादोंकी बिक्री करते है, जिस प्रकार से हम एक ब्रांड का निर्माण करते है।भौतिकी, रासायनिक या जैविक माध्यमसे बायोमास को उपयुक्त उत्पादों में तब्दील करने का कौशल्य कंपनी को अवगत है, फिर चाहे वो इंधन, उर्जा, रसायन, सामग्री और अन्य उत्पाद हो। हमे कृषि क्सेह्त्र का भी अनुभव है और उसी वजह से बायोमास निर्माण का अनुभव भी हमने हासिल किया है।
हमारी इसी रणनीति को आगे बढाते हुए हम बायोमास को सेल्य्लोज, हेमिसेल्युलोज, लिग्निन और अन्य डेरीवेटिव में रूपांतरित करने का कार्य कर रहे है। हम एथेनोल की मूल्यवृद्धि क्र रहे है और चीनी के किण्वन के माध्यमसे उच्च मूल्य वाले उत्पादों की निर्मिती में भी जुटे हुए है। अंत में, हमे ब्रांडेड खाद्य बाजार में सफलतापुर्वक प्रवेश करना है। इसके सफलता से बिक्री में, मुल्यवृद्धि में और प्रति टन गन्ने से मिलने वाले मूल्य में भी बढ़ोतरी हो सकती है। हमारे संशोधक इन क्षेत्रो में अविरत कार्य कर रहे है, जहाँ हम अपना ज्ञान बढ़ा सकते है, हमारे औद्योगिक उत्पादकता को सुरक्षित करते है और जरूरत पड़ने पर उसका लायसन्स हासिल करने में वे जुटे हुए है।
इस ध्येय को प्राप्त करने के लिए, हमने गोदावरी रिफायनरीज में निजी हिस्सेदारी को बढ़ावा दिया है। मंडल कैपिटल हमारे निवेशक है। वैश्विक स्तर की बायोरिफायनरी बनाने के हमारे विजन को वे बखूबी जानते है। और बायोमास से ज्यादा से ज्यादा मुल्य प्राप्त करने के हमारे मॉडल को भी समझते है। आज के कठिन समय में, जहाँ गन्ने के दाम ऊँचे स्ग्त्र पर है और चीनी के दाम कम है, यह बाते बहोत मायने रखती है। हमारा मानना है कि इस निवेश के साथ, हम कठिन समय के बावजूद, कंपनी को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं, जैसा कि हमारे संस्थापक और मेरे पिता श्री के जे सोमैया और डॉ. एस. सोमैया ने किया था।
लेकिन जैसा कि हम आगे आगे बढ़ते रहते हैं, हमें वर्तमान की चुनौतियों का सामना करना और जिना पड़ता है। चीनी के दामो में गिरावट और सरकार द्वारा निर्धारीत किया गया गन्ने का ज्यादा दाम इनके दबाव में चीनी उद्योग बड़ी कठिनाईयोंका सामना कर रहा है । गन्ने के दाम ही भारतीय चीनी उद्योग के सामने की सबसे बड़ी समस्या है। और हम उनसे अलग नहीं है। चीनी के दाम कम होते हुए, गन्ने के एफआरपी का भुगतान करना बेहद मुश्किल है, यह बात उद्योग ने सरकार तक पहुचाई है।
जिस सीएसीपी की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने एफआरपी की घोषणा की, उसने निर्दिष्ट किया था कि एफआरपी को रंगराजन फार्मूला के साथ संयोजन के रूप में देखा जाना चाहिए जो गन्ना मूल्य को चीनी की कीमतों से जोड़ता है। यदि एफआरपी रंगराजन फार्मूला से अधिक है, तो सरकार को अंतर का भुगतान करने की सलाह दी गई थी। एफआरपी की घोषणा करते समय सरकार ने सिफारिश के इस हिस्से को ध्यान में नहीं लिया था।
दरअसल, उच्च एफआरपी किसान को अधिक गन्ने की लागत के संकेत देते है। फिर जरूरत से ज्यादा चीनी का उत्पादन होता है और उस वजह से चीनी के दाम निचे उतरते है, इस वजह से अर्थव्यवस्था और अस्थिर हो जाती है। इसका हल सिर्फ इसी में है की, गन्ने का उत्पादन कम किया जाए (चीनी के दामो के मुतबिक उसे दाम दिए जाए), ज्यादा चीनी को निर्यात किया जाए या इथेनोल या बायोकेमिकल कार्यक्रम के माध्यम से गन्ने की डिमांड को बढाया जाए। तब जाके गन्ने और चीनी के मूल्य का फर्क दूर कर के बाजार को संतुलन में लाया जा सकता है । सरकार को इस मुद्दे के समाधान के बारे में सोचना होगा।
सरकार ने चीनी और इथेनॉल नीति में कुछ बदलावों की भी घोषणा की। उन्होंने स्थानीय बाजार में 'रिसाव' को रोकने के लिए कच्चे और परिष्कृत चीनी की आयात और पुन: निर्यात नीति में बदलाव किए हैं। उन्होंने आयात शुल्क को भी ४०% (२५% से) में बढ़ाया है, और इंधन पर आपूर्ति किए गए इथेनॉल पर एक्साइज ड्यूटी की भी छूट दी है। गन्ने के दामों को सक्षम करने में मदद करने के लिए यह १२% लाभ इंधन विक्रेताओं द्वारा कारखाने के मलिक को जायेगा और यह अगले सीजन से लागू है।
जैसा कि मैंने पहले उल्लेख किया है, चीनी की कम कीमत भी एक चुनौती है। हमारी कीमतों को बनाए रखने के लिए, हमने रिफाइंड चीनी की निर्यात जारी रखी है और चीनी के औद्योगिक खरीदारों को बिक्री भी बधाई हुई है। हमें जीएफएसआई अनुपालन (कई औद्योगिक खरीदारों को बेचने के लिए आवश्यक) के लिए लेखापरीक्षित किया गया था, और हम उसमे काफी अच्छी तरह से उत्तीर्ण भी हुए। हमने बिना किसी गैर अनुपालन के यह लेखापरिक्षण पूरा किया। मैं हमारी पूरी टीम को बधाई देता हू। गिरती कीमतों के दृष्टिकोण से औद्योगिक खरदारो के साथ हमारा अनुबंध हमे काफी मददगार साबित हुआ है।
हमने पिछले साल धनतेरस (धनटेरस) के शुभ दिन पर ब्रांडेड चीनी का शुभारंभ किया था। हमने ब्रांड नाम 'जीवन' चुना था जिसका का अर्थ जीवन है। अपने ग्राहक और खुदरा व्यपरियोंको एक और उत्पाद देने के लिए हमने अब हमारे उत्पाद श्रेणी में नमक को भी शामिल किया है।
गन्ना और चीनी कीमत के उतार चढ़ाव के बावजूद, हमे किसानो के साथ जुडकर काम करना है, दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिए यह भोत आवश्यक है। हम एक दुसरे से जुड़े हुए है । लघु और दीर्घ काल में किसान और खेत स्वस्थ रखना हमारा ध्येय है। इस के लिए हम ड्रिप सिंचाई, इंटरक्रॉपिंग,मिट्टी परीक्षण, गुणवत्तापूर्ण सामग्री का सप्लाई, टिश्यु कल्चर प्लांटलेट्स का सप्लाई और ज्यादा फसल के लिए अग्रोनोमिकस प्रथाओंका अवलम्ब करने के बारे में हम काम कर रहे है।
इथेनॉल पर सरकार की नीति में जिस बदलाव की मैं बात कर रहा था, उसका लघुकालीन निवेश निति पर घर असर पड़ेगा। क्योंकि यह चीनी के उत्पादन को इथनोल के उत्पादन से प्रतिस्थापित करेगा। इस कार्यक्रम में हमारी भागीदाऋ बढाने के लिए, हमने हमने डीहायड्रेटिंग एथेनॉल (यह हमारे मुख्य डिस्टिलरी पर एक जोड़) की एक बड़ी क्षमता के प्लांट को मंगवाया है और हम समीरवाडी में एक इन्सिनेरटर बायलर की स्थापना की योजना बना रहे हैं। हमने साकरवाड़ी में एक इन्सिनेरटर बायलर को भी मंगाया है। इससे इथनोल का निर्माणखर्च कम होगा और एथिल एसीटेट और क्रॉटोनाल्डहाइड जैसे रसायनों की निर्माण में हम स्पर्धक बन पायेंगे।
मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता हो रही है की , हमने अपने नए एमपीओ संयंत्र को चालू कर दिया है, और अप्रैल में से ही ग्राहकों को शिपमेंट जाने शुरू हुए है। संयंत्र बहुत अच्छी तरह से काम कर रहा है। यह कंपनी का एक परिवर्तन और ज्ञान आधारित रसायन विज्ञान में प्रगति है। आने वाले वर्षों में, इस तरह के अधिक रसायनों का परिचय दिया जाएगा।
हमारे मोम, एथिल लैक्टेट, १. ३ ब्यूटेन डायल को भी अच्छी मांग हो रही है और हम इन बाजारों में सफलता की उम्मीद कर रहे हैं।
भविष्य के उत्पादों के लिए अनुसंधान के संदर्भ में, हमारे पायलट प्लांट को अलग-अलग सेलूलोज़ प्रभाजन करने के लिए स्थापित किया गया है, और हमें भारत सरकार द्वारा चीनी से प्यूरवेट्स और डीलॅक्टिक एसिड बनाने के लिए अनुमति प्राप्त हुई है।
हमारी अधिकतर पाइपलाइन हमारे द्वारा बनायो गयी है। हमारे बोर्ड ने एक अनुसंधान प्रयोगशाला के निर्माण की मंजूरी दे दी थी, जिसके लिए हमने नवी मुंबई के पास जमीन खरीदी थी। निर्माण शुरू हो गया है, और निर्माण निर्धारित समय के अनुसार जा रहा है । यह मार्च 2016 से पहले उपयोग के लिए तैयार होगा।
हमारा यह सफर और परिवर्तन जारी होते हुए हम जानते है के जैसे दुनिया बदल रही है वैसे हमे भी और तेज बदलना होगा । हमारे उद्देश्यों की खोज में, हम अपना ध्यान ट्रिपल बॉटम लाइन - वित्तीय, सामाजिक और पर्यावरण पर भी रखेंगे। हमारे आसपास के सभी प्रथाओं, तकनीकों और प्रक्रियाओं नवीनता करने के लिए हमें ऐसा करना होगा। हम सभी के आगे होंगे, हमारे अतीत की नींव पर वर्तमान कि शक्तिया निर्माण करती हैं, और, भविष्य के प्रति हमारा ध्यान केंद्रित करते हैं।
समीर सोमैया
अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक
(२०१४-२०१५)