विद्याादान
करमशी जेठाभाई सोमय्या का जन्म गरीब खानदान में हुआ. इस गरीबी के कारण वे छटी कक्षा तक ही शिक्षा प्राप्त कर सके. लेकीन शिक्षा ने उसे गरीबी से बाहर पडने का अवसर प्रदान किया. १९३९ में बडी कठिनाई का सामना करने के बाद उन्होंने महाराष्ट्र में साकरवाडी और लक्ष्मीवाडी में चीनी कारखानों की स्थापन की.
गरीबों को शिक्षा जैसा उच्चतम दान देने के हेतू से प्रेरित होकर उन्होंने १९५९ में सोमय्या विद्याामंदिर ट्रस्ट स्थापित किया. ज्ञान ही अकेले मुक्त है, यह इस ट्रस्ट का ब्रीद हैंै.
सोमय्या विद्याा मंदिर ने कारखाने के कर्मचारियों के बच्चों को शिक्षित करने के लिए साखरवाडी और लक्ष्मीवाडी में सोमय्या विद्याा मंदिर स्कूल की स्थापना की, और बाद में आसपास के गांवों के बच्चों को शामिल किया.
साखरवाडी सोमय्या विद्याा मंदिर में पहला विद्याालय अब कानेगांव, हनुमानवाडी, साडे, भोजदे, धोत्रे, और श्रीरामपूर, रहाता, कोपरगाव और वैजापूर तहसील के कई गांवोंसे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाती हैं.
कोपरगांव, श्रीरामपूर और संगमनेर की तालुकों में जो लक्ष्मीवाडी और निकटवर्ती गांवो के पास है. जिसमें निघोज, निमगांव, शिर्डी, रुई, सोनेवाडी, दोºहोळे, कोºहाळे निमशीवाडी और सावलीविहिर भी शामिल हैं.
१० एकर के परिसर में निर्मित साखरवाडी में सोमय्या विद्याा मंदिर विद्याालय में विशाल कक्षाएं है. एक पुस्तकालय, फिल्म हॉल, विज्ञान प्रयोगशाला, अच्छी तरह से सुसज्जित कंप्युटर प्रयोगशाला ओर संगीत हॉल सज्जित है. इन सुविधाओं को छात्रों को हमेशा विभिन्न सह पाठ्यचर्या और अध्यापन गतिविधियों में लगे हुए हैं.
सोमय्या विद्याा विहार गोदावरी बायोरिफाइनरीज के सक्रिय समर्थन के साथ साखरवाडी और लक्ष्मीवाडी में स्कूलों के विकास में बारीकी से शामिल हैं.
- एस. के. सोमय्या कला, विज्ञान और वाणिज्य कॉलेज के समाजशास्त्र के छात्रों और प्रोफेसरों ने परिवार, माता-पिता और बच्चे की सामाजिक-आर्थिक स्थिती को समझने के लिए गांवों में हर परिवार का दौर किया. एक स्कूल कमेटी के साथ चर्चा की गई विस्तृत विश्लेषण जिसमें मुंबई के संबंधित स्कूल के प्रिन्सिपल श्री समीर सोमय्या और शैक्षणिक विशेषज्ञ शामिल हैं. वे मुद्दों पर समाधान करने ओर बच्चों के लिए समग्र शिक्षा प्रदान करनेवाले शिक्षण विधियों का विकास करने के लिए समाधानों पर चर्चा करते हैं. विशेष आर्थिक या सामाजिक समस्यांओं वाले प्रतिभाशाली बच्चों का विकास सभी को व्यक्तिगत रूप से संबोधित किया गया है.
- के. जे. सोमय्या अभियांत्रिकी कॉलेज के इंजिनिअरींग अँड इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी के इंजिनिअरींग छात्रों ने साखरवाडी में छात्रों के लिए रोबोटिक्स की एक कार्यशाला आयोजित की.
- मुंबई में संशोधन कर रहे कॉर्नेल युनिव्हर्सिटी के छात्र और अध्यापकों को इन स्कूलो में आमंत्रित किए गये थे. उन्होंने विज्ञान के साथ चर्चा की, शिक्षण के विभिन्न तरीकों के बारे में चर्चा की.
- स्कूलो में एक दूर्बीण है. हर साल, नेहरू तारामंडल के पूर्व निर्देशक, दो स्कूलों के दौरे के साथ जुडे सितारों और ग्रहों पर फिल्मों को दिखाने के अलावा वह सितारों को देखने की यात्रा का आयोजन करता हैं.
- गोदावरी जैव रिफाइनरीज लिमिटेड के अधिकारीयों ने दोपहर के भोजन के हिस्से के रूप में बच्चों को प्रदान किए गए भोजन की निगरानी की. कंपनी भी तालुका जिले में इंटरस्कूल प्रतियोगिताओं और विद्याालय द्वारा आयोजित राज्य स्तर की घटनाओं का समर्थन करती हैं
प्रभाव
सोमय्या विद्या मंदिर साखरवाडी (तालुका कोपरगाव जिला अहमदनगर)
९७.७०% उत्तीर्ण परिणाम
९२.२०%ये छात्रा स्कूल में टॉपर तनुजा काळे
२०%छात्र विशेष श्रेणी में उत्तीर्ण
१ | तनुजा काळे | ९२.२०% |
२ | देवयानी एन. गागरे | ९२% |
३ | प्रतीक्षा एस. मोरे | ९१.६०% |
सोमय्या विद्यामंदिर लक्ष्मीवाडी (तालुका रहाता, जिला अहमदनगर)
९१.३०% उत्तीण परिणाम
९४.% ये छात्रा स्कूल में टॉपर
पूजा के. त्रिभुवन
१६ % छात्र विशेष श्रेणी में उत्तीर्ण
१ | पूजा के. त्रिभूवन | ९४ % |
२ | वृषाली एस. घाणे | ९२.८० % |
३ | प्रियांका ए. पाघीरे | ९१.८० % |
४ | रुद्र ए जांभुळकर | ९१.८० % |
श्री शारदा अंग्रेजी माध्यम स्कूल (तल: कोपरगांव, जिला: अहमदनगर)
98.48 % उत्तीर्ण परिणाम
९६.४० % टॉपर स्कूल में
गर्गी पाटिल, ऐश्वर्या शिंदे
७३.४८ %डिस्टींकशन से उत्तीर्ण
१. | गार्गी डी पाटिल | ९६.४०% |
२. | ऐश्वर्या वी शिंदे | ९६.४०% |
३. | समृद्धि जे रणदिवे | ९६.००% |
४. | सनी एस धदीवाल | ९४.८०% |
प्रिंसिपल उद्धरण
प्राचार्य विद्याा मंदिर साखरवाडी
हम बच्चों की शैक्षणिक प्रगति में खुद को शामिल करते हैं. उन्हे मदद करने पर उन्हे उनकी सहायता की आवश्यकता होती हैं. जिनके सामने वे सामना कर रहे हैं. इसके अलावा, हम शिक्षा के महत्त्व और बच्चे और समुदाय पर इसके सकारात्मक प्रभाव पर माता-पिता को सलाह देते हैं. उन्हे बच्चे की प्रगति के बारे में सूचित करते हुए, हम उन्हे सलाह देते हैं कि बच्चे को कैसे प्रेरित किया जाए और प्रोत्साहित किया जाए.
कम आय वाले माता-पिता बच्चों की बुनियादी जरूरतों को एक चुनौती के रूप में पूरा करते हैं. जबकि अपने बच्चे के लिए शिक्षा को समझना महत्त्वपूर्ण है वे घर पर पढाई के लिए अपने बच्चे का समर्थन नही कर सकतें हैं. उनके लिए रोजाना कमानाही प्रमुख कार्य बन जाता है. बच्चे अक्सर घर के काम में मदद करते हैं और कोई कुछ भी खेतों में काम करते है. हम इस के प्रति संवेदनशील है और सुनिश्चित करें कि बच्चों को प्रेरित करते रहें. इस प्रकार शिक्षा सस्ती और सुलभ बनाना महत्त्वपूर्ण हैं. जब माता-पिता स्कूल को अच्छी गुणवत्ता को देखते हैं तो यह बलिदान करते है कि बच्चे को प्रयास के लायक अध्ययन करना.
कारखाने प्रबंधन और सोमय्या विद्याा मंदिर का ट्रस्ट स्कूल में बहुत रुचि लेता है. इससे ग्रामीणों को स्कूल में बच्चों को भेजने में विश्वास होता है.
प्राचार्य, विद्याामंदिर लक्ष्मीवाडी
शिक्षा मराठी माध्यम में हैं. इसलिए माता-पिता इसमें अपने बच्चों को पढाने में सहज है. हम अपने छात्रों को मनुष्य के रूप में अच्छी तरह से विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. बच्चे कक्षाओं में खुदको कुछ दीवारों को सजाते है. स्कूल में लडकियों और लडकों के लिए फ्लश सुविधांवाले अलग अलग शौचालय है. जो कि स्कूल आ रही लडकियों पर काफी प्रभाव डालते है. स्कूल में भव्य बॅडमिंटन हॉल है.
इसमें टेबल टेनिस, क्रिकेट, हँडबॉल और अन्य ग्रामीण जैसे विभिन्न खेल सुविधांए हैं. हम छात्रों को तालुका, जिले और राज्यस्तर के आंतरविद्याालय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करते है. जिल्हास्तरीय चॅम्पियनशीप रखते हैं. हमारे स्कूल में यह हमारे छात्रों को मिलने के लिए अनुमती देते हैं.
श्री. समीर सोमय्याने विद्याार्थियोंसे मिलना और प्रकल्प में आनेवाले बच्चों के साथ समय बिताना छात्रों से मिलना और उनके साथ बातचित करना था.
यह सब स्कूल के रोमांचक और सिखने के अनुभव के साथ आता है. स्कूल के अच्छे सुविधाओं के कारण हम अच्छे शिक्षकों को मिलते हैं. सोमय्या विद्यााविहार परिवार का हिस्सा होनेपर बहुत गर्व है.